Sonpur Mela 2022: यहां दिन ढलते ही रात जवां होती है! सोनपुर मेले में पहले होती थी नौटंकी, फिर नाच गाना और अब तो…

Bihar Sonpur Mela 2022: सोनपुर मेले की जानकारी रखने वाले शंकर सिंह बताते हैं कि कुछ साल पहले नौटंकी के नाम पर अश्लीलता परोसी जा रही थी। जिस कारण यह परंपरा भटकती नजर आ रही थी। हालांकि, बाद में प्रशासन और स्थानीय लोगों के दबाव में यह फिर से सुधर रही है।
 
bihar sonepur fair

हाइलाइट्स

  • ऐतिहासिक सोनपुर मेला आज भी सैलानियों की पसंद
  • सोनपुर मेले में पहले रात को होती थी नौटंकी
  • यूपी समेत अलग-अलग जगहों से आती हैं नौटंकी
  • थियेटर के नाम पर अश्लीलता तो उठने लगी ये मांग
हाजीपुर : बिहार का ऐतिहासिक सोनपुर मेला आज भी सैलानियों की पसंद बना हुआ है। पहले इस मेले में आने वाले दूर-दराज के लोगों के रात में मनोरंजन के लिए गीत और संगीत का कार्यक्रम होता था। बाद में इसकी जगह नौटंकी ने ले लिया। अब तो नौटंकी (थियेटर) इस मेले की पहचान हो गई है। खास बात ये है कि समय-समय पर इसमें बदलाव होता रहा। कहने को तो यह मेला एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला है लेकिन यहां आने वाले सैलानियों का आकर्षण नौटंकी कंपनियों की बालाएं भी होती हैं।Sonpur Mela 2022

Contents

सोनपुर मेले में लंबे वक्त से आते रही है नौटंकी

आने वाले लोग इन बालाओं के मनमोहक डांस-शोख अदा पर आज भी फिदा हो रहे हैं। वैसे इस मेले में थियेटर का आना कोई नई बात नहीं है। बहुत पुराने समय से लगने वाले इस मेले में थियेटर का भी अपना इतिहास रहा है। हरिहर क्षेत्र के लोगों का मानना है कि मेले में थियेटर की परंपरा शुरू से है और लोग इसे देखने के लिए दूर-दूर से आते थे।Sonpur Mela 2022 वे बताते हैं कि पहले आने-जाने के इतने साधन नहीं थे। तब लोग दिन भर मेला घूमते थे और रात को संगीत और नृत्य से मनोरंजन होता था।

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1909 में शुरू हुआ इस मेले में थियेटर

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इस क्षेत्र के बुजुर्गों का कहना है कि 1909 में यहां थियेटर का आना शुरू हुआ। हालांकि साल 1934-35 में मोहन खां की नौटंकी कंपनी मेले की रौनक बन गई। इस कंपनी में गुलाब बाई और कृष्णा बाई जैसे मंझे हुए कलाकार होती थीं, जिसे देखने के लिए पूरे राज्य से लोग आते थे। उत्तर प्रदेश के फरूर्खाबाद में जन्मी-पली गुलाब बाई की नौटंकी यहां खूब जमती थी। सोनपुर मेले को उनकी नौटंकी का इंतजार रहता था।

कई नौटंकी होती थीं शामिल

सोनपुर मेले में आज भी गुलाब बाई की याद में कोई न कोई थियेटर

बसता है। सोनपुर की माटी पर लैला-मजनूं, राजा हरिश्चंद्र आदि नाटकों में गुलाब बाई ने यादगार अभिनय किया था। प्रत्येक साल कार्तिक पूर्णिमा से प्रारंभ होने वाले इस मेले में आमतौर पर पांच से छह थियेटर कंपनियां आती हैं। प्रत्येक कंपनियों में 50 से 60 युवतियों का दल दर्शकों का मनोरंजन करते हैं।

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इस साल 5 थियेटर कंपनी ले रहीं हिस्सा

इस साल मेले में 5 थियेटर कंपनी लोगों का मनोरंजन करने पहुंची हैं। इनमें शोभा सम्राट, गुलाब विकास और पायल एक नजर में लोगों की खूब भीड़ जुट रही है।Sonpur Mela 2022 शोभा सम्राट के प्रबंधक गब्बर सिंह बताते हैं कि उनकी कंपनी इस मेले में कोरोना काल को छोड़कर 25-30 साल से अधिक समय से प्रति वर्ष आ रही है। इस मेले में दर्शकों की संख्या अधिक होती है। शाम होते ही टिकट लेने वालों की भीड़ जमा हो जाती है। उन्होंने कहा कि यहां के लोग नृत्य कला के पारखी होते हैं और कलाकारों को उत्साहित भी करते हैं।
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धीरे-धीरे परोसी जाने लगी अश्लीलता

इधर, मेले के विषय में जानकारी रखने वाले शंकर सिंह बताते हैं कि कुछ साल पहले नौटंकी के नाम पर अश्लीलता परोसी जा रही थी। Sonpur Mela 2022जिस कारण यह परंपरा भटकती नजर आ रही थी, लेकिन बाद में प्रशासन और स्थानीय लोगों के दबाव में यह फिर से सुधर रही है। उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि आज भी संगीत और नृत्य का कार्यक्रम तो जरूर होता है लेकिन उसमे शास्त्रीय और लोक संगीत का मिश्रण गायब नजर आने लगा है।Sonpur Mela 2022

मेले के ऐतिहासिक महत्व पर करना होगा फोकस

आधुनिकता की इस अंधी दौड़ में पहले की तरह ना तो गायन मंडलियां हैं और ना ही वैसे वादक हैं। आधुनिकता के नाम पर भौंडे गीत और संगीत गूंजते हैं। नौटंकी की सुसंस्कृत परंपरा ही समाप्त हो चुकी है। बहरहाल, गौरवशाली इतिहास को समेटे इस मेले की रौनक और मेले को लेकर लोगों में उमंग आज भी मौजूद है। बस जरूरत है कि इस मेले के ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व के प्रचार प्रसार करने की, जिससे देश और विदेश के सैलानियों को भी यह मेला आकर्षित कर सके।Sonpur Mela 2022

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